Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
देखिए पाते हैं उशशाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीकत लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
1. Voh samajhtay hain ke bimaar ka “haal” achha hai
2. Dil ke behalaanay ko Ghalib ye khyaal achha hai
I do not have Hindi font right now but will post the complete ghazal some other time when I get the hindi and Urdu font.
Thanks Rajan. Have made the first correction. But for the second one, well this is how he has sung it. So, I will keep it like that.
dil ki tassali ko ‘gaalib’ khayaal achha hai
great blog ji…
i m a big fan of ghazals.. mainly jagjit singh
keep it up
aapki likhai k sabhi lafz sahi likhe gaye hai janaab,,har ek lafz suna gaya h…
इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है…
ज़ुल्म की रात बहुत जल्दी ढलेगी अब तो…
आग चूल्हों में हर एक रोज जलेगी अब तो….
भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोयेगा….
चैन कि नींद हर इक शख्स यहाँ सोयेगा….
आंधी नफरत कि चलेगी ना कहीं अबके बरस…
प्यार कि फसल उगाएगी ज़मीन अब के बरस…..
है यकीन अब न कोई शोर शराबा होगा….
ज़ुल्म होगा न कहीं खून खराबा होगा ….
ओस और धुप के सदमे ना सहेगा कोई …
अब मेरे देश में बेघर ना रहेगा कोई …
नए वादों का जो डाला है वो जाल अच्छा है…
रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है…..
दिल के खुश रखने को …ग़ालिब ये खयाल अच्छा है….
nice