(गीतकार : राना अकबराबादी)
सुनते हैं के मिल जाती है, हर चीज दुआ से
इक रोज़ तुम्हें मांग के देखेंगे खुदा से…
सुनते हैं के…
दुनिया भी मिली है गम-ए-दुनिया भी मिला है
वो क्यूँ नहीं मिलता जिसे माँगा था खुदा से…
सुनते हैं के…
ऐ दिल तू उन्हें देख के कुछ ऐसे तड़पना
आ जाये हँसी उनको जो बैठे हैं ख़फ़ा से…
सुनते हैं के…
जब कुछ ना मिला हाथ दुआओं को उठा कर
फिर हाथ उठाने ही पड़े हमको दुआ से…
सुनते हैं के…
आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं
मर जाए की जी जाए कोई उनकी बला से…
सुनते हैं के…
तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारिश
वो दिन भी थे जब आग बरसती थी घटा से…
सुनते हैं के…