(गीतकार : गुलज़ार)
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
हाथ छूटें भी तो…
जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा,
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से… हाथ छूटें भी तो…