(गीतकार : कैफ़ी आज़मी)
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
तुम इतना जो…
आंखों में नमी हंसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
क्या ग़म है जिस… तुम इतना जो…
बन जाएंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
क्या ग़म है जिस… तुम इतना जो…
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूं उन्हें छेड़े जा रहे हो
क्या ग़म है जिस… तुम इतना जो…
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या ग़म है जिस… तुम इतना जो…